दया के बिना धर्म पूरा नहीं : शास्त्री

जासं,प्रतापगढ़:धर्ममेंअगरदयानहींहैतोवहपूरानहींकहाजासकता।इसलिएधार्मिककोदयालुभीहोनाहीचाहिए।यहबातवृंदावनधामकेकथाव्यासअमितशास्त्रीजीमहाराजनेकही।चिलबिलाहनुमानमंदिरपरिसरमेंचलरहीभागवतकथामेंउन्होंनेबुधवारकोकहाकिभगवानकीशरणमेंआनेसेहीधर्मसार्थकहोताहै।धर्मसेजुड़ेरहनेकेलिएभगवानकाभजनऔरशरणअनिवार्यहै।शास्त्रीनेकहाकिभागवतमेंकर्मऔरन्यायकेसाथहीअधिकारीवकर्तव्यकीप्रधानताबताईगईहै।कथाकोसुनेंतोउसेजीवनमेंभीजरूरउतारें।अपनेमाता-पिताकीसेवाकेबिनाकोईतीर्थयात्रासेफलनहींपासकता।इसलिएसबसेपहलेउनकाआदरकरें,सेवाकरें।

सुख-दुखकर्मोंकाफल

संसू,पट्टी:प्रत्येकप्राणीअपनेजीवनकालमेंकिएकर्मोंकेअनुसारहीसुखएवंदुखप्राप्तकरताहै।उक्तबातेंआसपुरदेवसराब्लाकक्षेत्रकेशैलखागांवमेंप्रभाकरतिवारीकेसंयोजनचलरहीसातदिवसीयश्रीमद्भागवतकथामेंबुधवारकोकथाव्यासडासुदर्शनाचार्यजीमहाराजनेकही।इसकेबादसंकीर्तनकेसाथकथाकोविरामदिया।उक्तअवसरपरअनिलकुमारत्रिपाठी,रत्नाकर,योगेशकुमार,वरुणेशतिवारी,दिवाकरत्रिपाठी,विनोदकुमारभीरहे।सगरासुंदरपुरप्रतिनिधिनेबतायाकिभागवतकथाज्ञानयज्ञक्षेत्रकेतुलापुरमेंचलरहाहै।इसमेंकथावाचकआचार्यकरुणेशजीमहाराजनेकहाकिश्रीमद्भागवतमानवकेस्वकल्याणकामाध्यमह्रै।कथाकोकभीभीमनोरंजनकी²ष्टिसेनसुनें।कथाकासंयोजनअवनीशसिंहनेकिया।झ्समौकेपरओमप्रकाशसिंह,संजयसिंह,अनंतपालसिंह,हरीशमिश्र,संतोषसिंहअप्पूभीपहुंचे।

हनुमाननेमारालंकिनीकोमुक्का

संसू,अजगरा:अवधरामलीलासमितिचमरूपुरशुक्लानकेतत्वावधानमेंरामलीलाकामंचनचलरहाहै।सातवेंदिनसमितिकेअध्यक्षपवनशुक्लागोलूनेसभीकलाकारोंकामाल्यार्पणकरस्वागतकिया।मंचनमेंहनुमानजीद्वारालंकिनीकोमुक्कामारनेका²श्यआकर्षकरहा।इसकेसाथहीलंकाप्रवेश,विभीषणसंवादवअंतमेंहनुमानद्वारालंकादहनकरनासबनेदेखावसराहा।मंचनविनयकुमारदुबेकेनिर्देशनमेंकियागयावसंचालनप्रवक्ताप्रेमनाथपांडेयनेकिया।राममनोहरपाल,अतुलओझा,अनुरागशुक्ल,शुभमदूबे,शिवमओझ,करनशर्मा,विकासपांडेय,राजेशपटवा,सदाशिवविश्वकर्मा,संतोषशुक्लआदिकलाकारोंनेरंगजमाया।